तुलसीदास जी ने अपनी कालजयी रचना रामचरित मानस में उस समय का सुंदर चित्रण किया है।
उनकी इस चोपाई में जाति व्यवस्था का विरोध साफ दिखता है।ये अयोध्याकांड की चोपाई है जिसमे लिखा है।
जाति पांति धनु धरमु बड़ाई।
प्रिय परिवार सदन सुखदाई।।
सब तजि तुम्हहि रहई उर लाई।ते
हि के ह्रदय रहहु रघुराई।।
*रामचरितमानस*
जो व्यक्ति जाति पांति,धन,और धरम की बड़ाई,परिवार(कुल,खानदान का अभिमान),बड़े घर आदि सबके मान का त्याग करके केवल प्रभु को अपने ह्रदय से लगा कर रखता हो।
उसके ह्रदय में प्रभु श्री राम स्वयम विराजमान होते है।
इस चोपाई में जाति -पांति सबका खंडन किया गया है।
ये है असली सनदेेेशश
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