#समझदारी और #परिपक्वता अक्ल,समझ,परिपक्वता, बुद्धिमत्ता या #होशियारी ये सब क्या है?सभी लोगो के लिए इनकी कोई एक #परिभाषा शायद सँभव नही है।व्यक्ति के जीवनकाल में उसकी परिस्थितियों और वक्त के हिसाब से इसकी परिभाषा सबके लिए अलग-अलग ही होगी।इसलिये इस पैमाने पर किसी की तुलना करना शायद सही नही है।जिसे आप कुछ मामलों में #अक्लमंद या #बुद्धिमान समझ रहे है वही बुद्धिमान व्यक्ति अपने से अधिक #समझ वाले के लिए अवश्य अल्पज्ञ भी है।और ये विषय बदलने के साथ ही इसका स्तर भी कम ज्यादा हो सकता हैं।जैसा कि किसी महान व्यक्ति ने कहा है कि किसी एक विषय का प्रोफ़ेसर दूसरे विषय में मूर्ख भी तो होता है। किसी एक ही पैमाने पर सबको तौलना हंमे गलत निष्कर्ष पर पहुंचा सकता है।कई बार हम नैतिकता को भी #परिपक्वता के अंदर ही समाहित कर लेते है,कई बार किसी की #बेईमानी को हम उसकी अक्ल या होशियारी कह देते है।बच्चे, किशोर,युवा,और बुजुर्ग सबके लिए ये निश्चित ही अलग अलग है। लेकिन जहां तक परिपक्वता की बात है तो हम युवा या मध्य आयुवर्ग को ध्यान में रखते हुए कुछ बिंदुओं पर विचार कर सकते है।जिनमे मुझे जो सबसे ज्यादा पर...
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