-नए दोस्त-
हम सभी सामाजिक प्राणी है और सामाजिक संबंधों में सबसे ज्यादा अहम जो एक रिश्ता है वो शायद दोस्ती का ही है।
जिसमे दोनों तरफ केवल एक लगाव और एक दूसरे की फिक्र ही नही बल्कि एक अजीब सा अपनापन रहता है वो भी बिना किसी लालच के,लेकिन दोस्ती कब तक चेलगी ये निर्भर करता है आपकी उम्र की सोच और उसकी जरुरत पर जिस उम्र में अपने दोस्ती की है।
जीवन में उम्र के हर पड़ाव पर जरूरते बदलती रहती है।और उसी के हिसाब से सामाजिक सम्बन्ध भी बदलते है।एक समय के बाद व्यक्ति कई बार केवल खुद तक सीमित हो जाता है या अपने घर परिवार या काम में ही उलझ कर रह जाता है।
कालिज से निकल कर 10 साल से ज्यादा दुनिया मे सेकड़ो लोगों से मिलने के बाद भी एक भी नए आदमी को अपना दोस्त कहने मे मुझे या आपको हिचकिचाहट होती है तो कही ये मेरी या आपकी खुद की बनाई हुई दीवारें है जिसमे किसी का आना मना है या फिर अब हमने हर आदमी को पहले से ही मतलबी मान लिया है,और दोस्ती का हाथ बढ़ाना हमे खुद के लिए घाटे का सौदा लगने लगा है।
चलो एक बात का जवाब आप सब पाठक ईमानदारी से देना।।अगर आप मेरे हम उम्र हो तो पिछले 10 सालों में किस किस ने एक भी कोई अच्छा दोस्त बनाया है।।
कॉलेज खत्म होने के बाद,कोई एक ऐसा आदमी जिसको आप कहो कि ये मेरे बेस्ट फ्रेंड्स की लिस्ट में नई एंट्री है लाइफ में।।कोई है ऐसा ? या नही...
शादियां हो गयी सबकी, फैमली बन गयी बच्चे हो गए,इसको हम यहां नही गिनेंगे,हम समाज के अन्य व्यक्तियों से होने वाले व्यवहार को दोस्ती की कसौटी पर रख कर देखेंगे।इसलिए परिवार के अतिरिक्त अन्य कोई है तो आप बताइए।परिवार का किरदार जीवन में अलग है और दोस्तो का अलग है।
लड़को के लड़के दोस्त होंगे,वही लड़कियों की नई सहेलियां या महिलाये दोस्त हो सकती है या फिर लड़के और लड़कियां भी हो सकते है।लेकिन यहां हम केवल लड़के और लड़की की दोस्ती की बात नही कर रहे है।हम केवल दोस्ती की बात कर रहे है।
क्या आपने पिछले कुछ सालों में नए दोस्त बनाये?या फिर आप अब किसी को दोस्त बनाना ही नही चाहते है।या बनाते हुए डरते है?या फिर किसी पर अब पहले जैसा विश्वास नही हो पाता है?
कालिज के बाद 10-12 सालों में एक भी नया सच्चा दोस्त बनाने में नाकाम रहे है आप,या कहो कि मिला नही कोई ऐसा व्यक्ति जिसको आप सही में दोस्त कह सको ।अब आप सोच सकते है हम कितना (self centered life )एकात्मकता में जीने को मजबूर है।।जिसका कोई सिरा कही नही खुलता है।सब बन्द है।
परिपक्वता का ये बड़ा नुकसान है की इंसान को अपनी सोच और समझ वाले लोग मुश्किल से मिलते है और अच्छे लगते है।इसलिए असली दोस्ती तो कच्ची उम्र में ही होती है।बिना किसी तोल मोल भाव के।जो एक बार हो जाए तो फिर उम्र भर टिक जाती है।दोस्ती के अलावा शायद ये प्यार वाले सम्बन्धो में भी सच ही है।दोस्ती को लंबा चलाने के लिए ज्यादा समझदारी नुकसानदेह हो जाती है। असली और पक्की दोस्ती तो अल्हड़पन में,नासमझी में ही परवान चढ़ती है।
जीवन मे एक उम्र के बाद या कहो कि कुछ परिपक्वता आने के बाद तो इन्सान बस नफा नुकसान ही ज्यादा देखता है नई दोस्ती के सम्बन्ध में, बाकी सभी सम्बन्ध भी उसी पर निर्भर होकर चलने लगते है धीरे धीरे,या कई बार मानसिक धारणाए बदल जाती है या सांसारिक वैराग्य पैदा हो जाता है और हम सब नए लोगो से दोस्ती करने की जरूरत ही नही समझते है।
ऐसा आपके साथ भी अक्सर होता होगा कि व्यवहार और मिलना जुलना सबसे अच्छा है लेकिन फिर भी आप किसी को अपना दोस्त कहने में हिचकते होंगे, इसलिए जो पुराने है उनको सब सम्भाल कर रखा करो।ये जीवन की अनमोल पूंजी है।
कभी पुराने दोस्तों से कुछ गलतियां हो जाये तो ज्यादा दिल पर ना लिया करो।अब नए तो बनने से रहे इसलिए पुराने दोस्तों को बस दिल मे रखो और जीवन का आनंद लेते चलो।हो सकता है ये पुराने दोस्त काम कुछ ना आये लेकिन कम से कम इतना तो है उनके साथ आप दिल खोल कर गप्पे मार सकते है जीवन की हजार चिन्ताओ को छू मंतर कर सकते है और इसीलिए उनकी एंट्री बेस्ट फ्रेंड्स की लिस्ट में है और रहेगी हमेशा और आप गर्व से कह सकते हो कि आपके पास भी कुछ बेस्ट फ्रेंड्स है।।।
FriendsForever_oldIsGold_friendship_love_oldFriends_socialNeed_life_LifewithoutFriends_ForgetYourFriends_friendsScinceChildhood_collegeFriends _bestFriends
Comments
Post a Comment
pls do not enter any spam link in the comment box